बड़े साहब की दरियादिली या निहित स्वार्थ!
प्रवेश गौतम, भोपाल। भारतीय रेलवे (Indian Railway) में नियमों का तो अंबार है, लेकिन इनको मानने वालों की भारी कमी है। कहने को तो भ्रष्टाचार (Corruption in Railways) पर जीरो टॉलरेंस (Zero Tolerance Policy) की नीति की बात करते हैं लेकिन कुछ अधिकारियों (Corrupt Railway Officers) के लिए मानो भ्रष्टाचार तरक्की (Promotion in Railway) की सीढ़ी है। यकीन न हो तो भोपाल रेल मंडल (Bhopal Rail Division) की टीआरओ शाखा (TRO Branch) में सालों से पदस्थ दर्जनों कर्मचारियों (Railway employees) की सूची देख लीजिए।
किसी भी शाखा में कार्यालय अधीक्षक (Office Superintendant) का पद संवेदनशील (Sensitive) की श्रेणी में आता है। लेकिन इस संवेदनशील पद पर भी सालों तक बने रहने का मूल मंत्र कुछ विशेष कार्यालय अधीक्षकों व अन्य कर्मचारियों से सीखा जा सकता है। वहीं टीआरओ के शाखा अधिकारी संजय तिवारी पूरे मामले में जानकार बनकर भी अनजान बने हुए हैं।
दरअसल, भोपाल रेल मंडल की टीआरओ शाखा में 10 से ज्यादा ऐसे कार्यालय अधीक्षक व अन्य कर्मचारी हैं जो 10 साल से ज्यादा वक्त से एक ही कुर्सी तोड़ रहे हैं। सालों से एक ही पद पर विराजमान यह कर्मचारी अपने काम के हर उस हुनर के माहिर हो चुके हैं जिससे शाखा अधिकारी को खुश किया जा सकता है। शायद यही कारण है कि मंडल के शाखा अधिकारी संजय तिवारी भी महाभारत के धृतराष्ट्र बने बैठे हैं।
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