मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड: पीसीबी में वसूली का नया तरीका, घुमाते हैं गाड़ी, दिखाते हैं विजिट, पर नहीं बनाते रिपोर्ट !

Published By :  Pravesh Gautam

Oct 23,2024 | 09:20:pm IST |  16760

प्रवेश गौतम (द करंट स्टोरी, भोपाल)।  दीपावली आ रही है, पर कुछ अधिकारियों की चांदी तो सालभर रहती है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कुछ अधिकारीयों की दीपावली पूरे साल रहती है। इनका भ्रष्टाचार करने का अनोखा तरीका है। उद्योगों से वसूली का ऐसा चक्कर चलाते हैं की सब हैरान रह जाते हैं। अवैध वसूली के लिए यह अपना शासकीय वाहन को खुले आम उपयोग करते हैं। कागज़ों में बता देते हैं विजिट, पर नहीं बनाते रिपोर्ट।

एमपीपीसीबी में क्षेत्रीय अधिकारी को कार्यालयीन कार्य हेतु वाहन उपलब्ध कराया जाता है। इस वाहन से अधिकारी जगह जगह जाते हैं। कुछ तो अपनी निजी यात्रा में भी इसका उपयोग करते है।

द करंट स्टोरी की पड़ताल में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। कुछ अधिकारी अपने वाहन का उपयोग वसूली के लिए खुलेआम कर रहे हैं।

द करंट स्टोरी ने कुछ अधिकारियों के वाहन की पड़ताल की। इनमें कुछ के वाहन हर महीने हजारों किलोमीटर चलते हैं। पर जब पता किया कि आखिर ऐसा कहां जाते हैं तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। एक अधिकारी की गाड़ी हर हफ्ते लगभग हजार किलोमीट से ज्यादा चलती है। और इनके द्वारा जारी की गई अनुमतियां भी दर्जनों होती हैं। अब होता यह है कि अधिकारी अपने रिकॉर्ड में बताते है कि शासकीय कार्य या फिर विजिट (उद्योग के निरीक्षण) पर गए। पर जब उनके द्वारा जारी सम्मति की सूची देखी तो पता चला, कई बार जब गाड़ी 200 किलोमीटर या उससे ज्यादा चली है, उस दिन साहब ने एक भी रिपोर्ट साइन नहीं की है यानी निरीक्षण नहीं की है। अब जब और गहराई में गए तो पता चला कि, यह गाड़ी दरअसल वसूली के लिए घूम रही है।

इसको ऐसे समझिए। मान लीजिए एक कंपनी ने महीने की पहली तारीख को पीसीबी में पर्यावरण अनुमति के लिए आवेदन किया। अब साहब, 5 या 6 को पहले इस कंपनी के आसपास जायेंगे। उसके बाद साहब फिर से 15 या 16 को दोबारा इस कंपनी में जायेंगे, यह अनाधिकृत रूप से विजिट होगी। उसके बाद एक दिन 25 या 27 को इसी कंपनी में अधिकृत रूप से निरीक्षण करेंगे। उसके बाद हो जाएगी अनुमति जारी। अब आपको लगेगा तीन तीन बार क्यों गए। हमारे विभागीय सूत्र बताते हैं, पहली विजिट उद्योग की कमी देखने के लिए होती है। दूसरी रिश्वत के निर्धारण के लिए। जिसमें साहब उद्यमी को बताते हैं कि इतना दे जाओ और तारीख बताते है कि रिश्वत देने के बाद किस तारीख को आयेंगे। इस दौरान साहब यह भी बता देते हैं कि उद्योग में क्या क्या कमी है और निरीक्षण से पहले क्या क्या करना है। जब रिश्वत पहुंच जाती है तब होता है अंतिम अधिकृत निरीक्षण। उसके बाद 30 तारीख तक अनुमति जारी हो जाती है।

इस उदाहरण में गाड़ी की विजिट अधिकृत रूप से एक दिन की ही है। और इसके पहले की विजिट अनधिकृत है। बस यही कारण है कि अधिकारी की गाड़ी आवश्यकता से ज्यादा चल जाती है। और रिकॉर्ड में कंपनी का नाम एक ही दिन आता है। इसलिए कहा जाता है कि:

वसूली का नया तरीका, घुमाते हैं गाड़ी, दिखाते हैं विजिट, पर नहीं बनाते रिपोर्ट।

ऐसे ही एक मामले में द करंट स्टोरी ने और पड़ताल की। तब और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए। जल्द ही दोनों मामलों का प्रमाण सहित पूरा खुलासा होगा।


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