किस्सा कुर्सी का: भोपाल एडीआरएम पद के लिए रस्साकशी शुरू, कौन होगा नया अधिकारी?

Published By :  Pravesh Gautam

Jul 20,2024 | 12:23:pm IST |  3531

प्रवेश गौतम (द करंट स्टोरी, भोपाल)। रेलवे अधिकारियों की प्राथमिकताएं अक्सर बदलती रहती हैं। ज्यादातर इस बदलाव का कारण होता है सुविधा। ऐसे ही भोपाल रेल मंडल में पदस्थ एक अधिकारी हैं, जिन्होंने पहले निजी कारणों के चलते तबादले का आवेदन दिया था। पर अब जैसे ही निजाम बदला उन्होंने एक्सटेंशन यानी सेवा वृद्धि के लिए जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया है।

मामला भोपाल रेल मंडल के एडीआरएम पद का है। दरअसल जुलाई 2022 को भोपाल मंडल में एडीआरएम (ऑपरेशन) के पद पर आए थे योगेश सक्सेना। सक्सेना का कार्यकाल जुलाई 2024 में पूरा हो चुका है। यानी अब नई पोस्टिंग हो जानी चाहिए थी। परंतु अभी तक इनके आदेश नहीं जारी नहीं हुए हैं।

वहीं मामले से जुड़े सूत्र बताते हैं की योगेश सक्सेना ने लगभग एक साल पहले पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए तबादले का प्रयास किया था। लेकिन वह सफल नहीं हो पाए थे। सूत्रों ने आगे बताया की एक साल पहले तक, सक्सेना पारिवारिक कारणों को लेकर चिंतित रहते थे और हर बार जाने की बात किया करते थे। जबकि उनका कार्यकाल जुलाई 2024 तक था।

सूत्रों के अनुसार, उस वक्त सक्सेना का तबादला नहीं हुआ। तो यही कयास लगाए जाने लगे की दो साल का कार्यकाल पूरा करके वह वापस अपने परिवार के पास चले जाएंगे। परंतु ऐसा नहीं हुआ। पश्चिम मध्य रेलवे से जुड़े सूत्रों ने बताया की अब योगेश सक्सेना की प्राथमिकता बदल गई है। और उन्होंने महाप्रबंधक से भोपाल एडीआरएम पद पर बने रहने के लिए एक्सटेंशन की मंशा जाहिर की है। है न कमाल, एक साल पहले तक पद छोड़ना चाहते थे पर अब पद पर चिपके रहना चाहते हैं।

पूर्व और वर्तमान डीआरएम के कारण हुआ ऐसा?
मामले से जुड़े सूत्र बताते हैं की, जब सक्सेना यहां आए थे, तब डीआरएम सौरभ बंदोपाध्याय थे। उनकी कार्यशैली आक्रामक थी, यानी काम के प्रति थोड़ा ज्यादा संवेदनशील थे। इसलिए अक्सर एडीआरएम और अन्य ब्रांच अधिकारियों को लगातार काम करने के लिए निर्देश देते रहते थे। बस इसी कारण एडीआरएम साहब थोड़ा असहज हो रहे थे। पिछले साल जब नए डीआरएम देवाशीष त्रिपाठी आए तो मंडल का माहौल बदल गया। सूत्र बताते हैं की वर्तमान डीआरएम देवाशीष त्रिपाठी शांत प्रिय किस्म के अधिकारी हैं। जो अपने अधीनस्थों के कार्यों पर अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करते। कुल मिलाकर लगभग सभी को फ्री हैंड दिया हुआ है। मतलब एडीआरएम साहब अब अपने अनुसार कार्य करने हेतु स्वतंत्र है। हर दिन की मॉनिटरिंग लगभग बंद है। विभाग से जुड़े एक अन्य सूत्र ने बताया की नए डीआरएम त्रिपाठी की कार्यशैली से वर्तमान एडीआरएम योगेश सक्सेना प्रसन्न हैं। और यहां काम करने का वातावरण उन्हें पसंद आने लगा है। संभवतः इसलिए उनकी प्राथमिकता अब बदल गई होगी और उन्होंने सेवा वृद्धि की मंशा जाहिर की होगी।

टेंडर और वैरिएशन का कमाल!
एडीआरएम सक्सेना के पास बड़े बजट के टेंडर मंजूर करने और वैरिएशन की फाइल आती हैं। जिसमें इंजीनियरिंग के टेंडर प्रमुख हैं। और इन्हीं फाइलों में निर्णय लेने के लिए एडीआरएम स्वतंत्र होते हैं। तत्कालीन डीआरएम बंदोपाध्याय एडीआरएम की इन फाइलों पर ध्यान देते थे। जबकि वर्तमान डीआरएम त्रिपाठी अमूमन इस तरह की फाइलों में ज्यादा ध्यान नहीं देते। जिसके कारण एडीआरएम सक्सेना के निर्णय पर ही मुहर लगती है। अब कार्य करने में ऐसी स्वतंत्रता मिले तो कौन छोड़ना चाहेगा।

दावेदारों ने दिखाया दम
कहते हैं की जब चाशनी होती है तब मक्खी चारों ओर से आती है। वर्तमान डीआरएम देवाशीष त्रिपाठी की कार्यप्रणाली बिना रोक टोक के काम करवाने की है। इसी माहौल में और भी कुछ अधिकारी हैं जो एडीआरएम की कुर्सी पर नजर लगाए हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि, इनमें से एक का नाम अविराम खरे है। पश्चिम मध्य रेलवे कार्मिक शाखा से जुड़े सूत्रों के अनुसार अविराम खरे (वर्तमान में सीनियर डीएफएम, जबलपुर) एडीआरएम बनने के लिए प्रयासरत हैं। यहां यह बताना महत्वपूर्ण हैं कि खरे को अभी एसएजी ग्रेड नहीं मिला है। हालांकि उनके आला अधिकारियों से अत्यंत मधुर संबंध हैं। सूत्रों की मानें तो खरे की दावेदारी ने सक्सेना की दावेदारी को कमजोर किया है। इसके अलावा पश्चिम मध्य रेलवे के बाहर से यानि दूसरे जोन से भी एक अधिकारी इस पद हेतु जोर आजमाइश कर रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा की इस रस्साकशी में कौन जीतता है। वैसे इस दौड़ से एक अधिकारी ने अपनी दावेदारी वापस ले ली हैं। यह वही अधिकारी हैं जो 5 सालों बाद प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे हैं। इनकी श्रीमती जी ने भी पढ़ाई की छुट्टी बीच में छोड़कर जबलपुर में आमद दे दी है।


Tags :
  • Railway
  • Bhopal DRM
  • ADRM
  • Transfer Order of Railway Officer
  • The Current Story
  • West Central Railway

FIND US ON FACEBOOK