Published By : Pravesh Gautam
Jan 04,2025 | 09:18:am IST | 20311
प्रवेश गौतम (द करंट स्टोरी, भोपाल)। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के भोपाल स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में करोड़ों का भ्रष्टाचार चल रहा है। जिससे विभाग को करोड़ों का नुकसान भी हो रहा है। इस घोटाले के सरगना हैं क्षेत्रीय अधिकारी बृजेश शर्मा, जिन्हें आलाकमान खुलेआम संरक्षण दे रहा है।
बृजेश शर्मा की कार्यप्रणाली अत्यंत संदेहास्पद है। नियम विपरीत अनुमति जारी करने में इनको महारत हासिल है। वहीं इनके द्वारा किए जा रहे घोटाले से विभाग को करोड़ों रुपए की हानि भी हो रही है। बृजेश शर्मा ने नियमों को घुमाकर अपने हित में बना लिया है।
दरअसल, एनजीटी के आदेश हैं कि यदि कोई उद्योग, पर्यावरण नियमों का पालन नहीं करता और प्रदूषण फैलाता है तो उस पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति अधिरोपित की जाए। और इस राशि को पर्यावरण संरक्षण हेतु उपयोग किया जाए। एनजीटी के आदेश के बाद सीपीसीबी ने इस संबंध में आदेश जारी किया था। और समय समय पर इस आदेश के तहत नियम तोड़ने वाले उद्योगों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति अधिरोपित की जाती रही है। परंतु बृजेश शर्मा ने इस आदेश का पालन करने में कोताही बरती है। ऐसा नहीं है कि बृजेश शर्मा को उद्योगों के प्रदूषण फैलाने और नियम तोड़ने की जानकारी नहीं हैं। बावजूद इसके बृजेश शर्मा इन उद्योगों से या तो क्षतिपूर्ति नहीं वसूलते या कम वसूलते हैं।
ऐसे समझें घोटाला:
भोपाल क्षेत्रीय कार्यालय के आधीन आने वाले करीब 200 से ज्यादा उद्योग ऐसे हैं जो पर्यावरण क्षतिपूर्ति के दायरे में आते हैं। इन सबकी जानकारी बृजेश शर्मा को है। अब यदि एक उद्योग को औसतन 60 दिन की क्षतिपूर्ति भी वसूली जाए तो यह राशि न्यूनतम तीन लाख रुपए होती है। इस अनुसार 200 उद्योग की संख्या पर लगभग 60 करोड़ रूपये राशि क्षतिपूर्ति बनती है। पर बृजेश शर्मा ने ऐसा नहीं किया। जिससे शासन को करोड़ों रुपए का राजस्व की हानि हुई है।
कैसे घोटाला करता है बृजेश शर्मा!
भोपाल में संचालित सुरजीत हुंडई के दो सर्विस सेंटर लगभग 1200 दिन तक नियम तोड़ते रहे। शिकायत प्राप्त होने पर इसकी पुष्टि भी हुई। नियमानुसार इन दोनों सर्विस सेंटर से लगभग दो करोड़ों रुपए पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूलना थी। पर शिकायत के लगभग दो साल तक इस पर कोई करवाई नहीं की। हालांकि बाद में बृजेश शर्मा ने गुमराह करते हुए इन पर लगभग दस लाख रुपए की क्षतिपूर्ति लगाने हेतु मुख्यालय को लिखा। इस हिसाब से लगभग एक करोड़ नब्बे लाख रुपए की क्षतिपूर्ति कम कर दी। अब यह राशि कम क्यों की गई, इसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है। स्वाभाविक है कि बिना निजी लाभ के बृजेश शर्मा आखिर इस उद्योग को संरक्षण क्यों देंगे। उक्त सवाल पूछने पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने जवाब नहीं दिया।
कितनी रिश्वत लेते हैं अधिकारी!
विभागीय सूत्र बताते हैं कि भोपाल क्षेत्रीय कार्यालय में 30 से 40 परसेंट का रेट चल रहा है। यानी 2 करोड़ की क्षतिपूर्ति मामले में यदि 30 परसेंट रिश्वत ली होगी तो यह राशि होती है लगभग 60 लाख रुपए। और इसी राशि में समाहित है 10 लाख रुपए की वो राशि जो शासन में जमा हो जाएगी। सूत्रों की बात मानें तो, अकेले सुरजीत हुंडई में मामले में लगभग 50 लाख की रिश्वत जेब में गई होगी और शासन को मिलेंगे 10 लाख रुपए। कुल मिलाकर उद्यमी को 2 करोड़ की बजाय 60 लाख में मामले से मुक्ति मिल गई। और शासन को एक करोड़ नब्बे लाख का नुकसान। वहीं अधिकारी को 50 लाख की रिश्वत।
4 साल में कितने का भ्रष्टाचार किया होगा ?
विभागीय सूत्र बताते हैं भोपाल क्षेत्रीय कार्यालय में इस तरह के लगभग 350 मामले हैं। यदि 30 परसेंट का गणित मान लिया जाए तो, यह राशि करोड़ो में जाती है। लगभग तीन से चार करोड़ रुपए। यह तो न्यूनतम राशि है। असली आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है। यानी शासन को करोड़ों की हानि और निजी लाभ भी करोड़ों में। इसकी गंभीरता से जांच हो तो शासन को करोड़ों रूपये राजस्व मिल सकता है।
शिकायत को दबाया जाता है
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बैठे आला अधिकारी, बृजेश शर्मा पर इस तरह मेहरबान हैं कि शिकायत को भी दबा देते हैं। और जो जांच करवाते भी हैं तो वह भी झूठी जांच रिपोर्ट होती है। आने वाले समय में बृजेश शर्मा के भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग को लेकर कोर्ट में याचिका लगाई जा सकती है।