Published By : Pravesh Gautam
Nov 27,2024 | 10:06:pm IST | 36723
प्रवेश गौतम (द करंट स्टोरी, भोपाल)। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेहास्पद प्रतीत हो रही है। कागज़ों की पड़ताल के बाद यह बात और भी पुष्ट हो जाती है कि, छिंदवाड़ा के क्षेत्रीय अधिकारी के एन कटारे, द्वारा संदेहास्पद तरीके से कार्य किया जा रहा है। कटारे की गाड़ी का इस तरह दौड़ना, इशारा करता है कि, वह कहीं छुप छुप कर जाते हैं और वो भी सरकारी कार्यालय के समय में। इस गुप्त दौरे को वसूली से भी जोड़ कर देखा जा सकता है।
छिंदवाड़ा में पदस्थ क्षेत्रीय अधिकारी के एन कटारे, की कार्यप्रणाली पूरी तरह से संदेहास्पद है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, कटारे गुप्त तरीके से उद्यमियों से मिलकर उन्हें डराते है। और यह सब होता है वसूली के लिए।
सूत्रों की जानकारी पर द करंट स्टोरी ने पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। कटारे को आवंटित वाहन की लॉग बुक में जो एंट्री (प्रविष्टि) दर्ज होती है, दरअसल वह कूटरचित है। कटारे ने आधिकारिक दस्तावेज में जो दौरा दिखाया, असल में वो वहां जाते ही नहीं थे। ज्यादातर दिनों में तो पूरी तरह से संदेहास्पद और झूठी प्रविष्टि दर्ज है। सूचना का अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों के अवलोकन पश्चात यह खुलासा हुआ कि, कटारे द्वारा जहां लिखा जाता है, उनमें से ज्यादातर में वो वहां गए ही नहीं हैं। उदाहरण के लिए, किसी दिन यदि कटारे ने बैतूल और आसपास जाने के बारे में लिखा, तो उस दिन उनके द्वारा इस इलाके के एक भी उद्योग को अनुमति जारी नहीं की गई। और इस तरह की एक नहीं बल्कि कई प्रविष्टियां मिली हैं।
एक ही दिन दो जगह से डलवाया डीजल, जबकि निरीक्षण लोकल दिखाया
दस्तावेज के अवलोकन पश्चात यह भी तथ्य सामने आए कि, कटारे द्वारा झूठे बिल बनाया जा रहा है। उदाहरण के लिए, एक दिन कटारे ने बैतूल और आसपास का निरीक्षण लिखा। उसी दिन छिंदवाड़ा में गाड़ी में 50 लीटर डीजल डलवाया। गजब तो तब हो गया जब, इस दिन इनकी गाड़ी में नर्मदापुरम से भी डीजल डलवाया गया। अब यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि इस दिन की प्रविष्टि में जानकारी झूठी है।
अनधिकृत तौर पर भोपाल आते जाते हैं
कटारे का घर भोपाल में है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि कटारे लगभग हर हफ्ते, भोपाल अपने घर आते हैं। इसके लिए सरकारी वाहन का उपयोग करते हैं। आने जाने में जितना गाड़ी चलती है उतना यह अन्य दिन फर्जी निरीक्षण बताकर किलोमीटर और डीजल उपभोग को एडजस्ट करते हैं।
गुप्त दौरे, वसूली का उद्देश्य !
विभागीय सूत्रों ने यह भी बताया कि, कटारे, उद्यमियों से लगातार मिलते हैं।उनकी यह मुलाकात आधिकारिक नहीं होती। और इसी मुलाकात में पर्यावरण नियमों को तोड़ने और अन्य अनियमितताओं को दबाने के एवज में सौदा होता है। बस इसी गुप्त दौरे को छिपाने के लिए, लॉग बुक में फर्जी एंट्री की जाती है। और फिर सौदे में जो कमाई हुई है उसको भोपाल में अपने घर पहुंचाने के लिए सरकारी गाड़ी का उपयोग किया जाता है।
हाइवे के टोल से खुलेंगे राज
विभागीय सूत्रों ने बताया कि, सरकारी वाहन द्वारा भोपाल आते जाते समय, हाइवे में टोल प्लाजा पड़ते हैं। यदि इनके डेटा को चेक किया जाए तो, कटारे के गुप्त दौरों की पोल खुल सकती है।
परीनिंदा की शस्ति हो चुकी है अधिरोपित
कटारे की कार्यप्रणाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, इनके ऊपर सिविल सेवा अधिनियम के तहत परिनिंदा प्रस्ताव पारित हो चुका है। इसके अलावा भी समय समय पर इनको मुख्यालय से वार्निंग जारी होती रहती है।
नहीं दिया जवाब
उक्त संबंध में कटारे से उनका पक्ष मांगा गया था। पर खबर लिखे जाने तक, उनका कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुआ है।
जल्द और भी खुलासे होंगे.....