भ्रष्ट तंत्र रेलवे अधिकारी बने शुतुरमुर्ग, पर दाग नहीं छूट रहे

Published By :  Pravesh Gautam

Jul 05,2024 | 06:05:pm IST |  2690

प्रवेश गौतम (द करंट स्टोरी, भोपाल)। कहते हैं जब मुंह काला हो जाता है तब लोग अपने मुंह को छुपाते हैं। कुछ रेलवे अधिकारियों के लिए मुंह में लगी कालिख भ्रष्टाचार को कह सकते हैं। और इसे मिटाने के लिए पानी तो मिलता ही नहीं है। तब क्या करें? ऐसे में यही कुछ भ्रष्ट अधिकारी बन जाते हैं, शुतुरमुर्ग।


और शुतुरमुर्ग बनकर समझते हैं की उनके मुंह पर लगी भ्रष्टाचार और अनियमितता समान कालिख किसी ने देखी नहीं। पर हकीकत इससे अलग है।

आपको पता होगा की, शुतुरमुर्ग नाम का पक्षी अक्सर अपना मुंह जमीन के अंदर डाल देता है। उसकी इस आदत को देखकर कहा जाता है की कैसा मूर्ख प्राणी है। इतना बड़ा शरीर बाहर है और मुंह अंदर करके समझता है की उसने अपने आप को छुपा लिया। कुछ ऐसा ही कर रहे हैं  चुनिंदा भ्रष्ट रेलवे अधिकारी। किसी भ्रष्ट अधिकारी से जब कोई उनके किए भ्रष्टाचार पर सवाल करता है तो जवाब नही दे पाते। ऐसे में यह बन जाते हैं शुतुरमुर्ग।

मैं अपना अनुभव साझा करता हूं। पश्चिम मध्य रेलवे में एक अधिकारी हैं। जिनके काले कारनामे बहुत हैं। यानी अनियमितता बहुत की हैं। चाहे टेंडर का मामला हो, या तबादला का, सबमें खूब पैसा खाया है। इनके भ्रष्टाचार की पोल द करंट स्टोरी ने खोली थी। आई तब इनसे इनका पक्ष लेने के लिए सवाल पूछा था। सवालों से भ्रष्ट अधिकारी जी तिल मिला गए। अब जवाब तो दे नही सकते। तो क्या करें। इन्होंने कर दिया नंबर को ब्लॉक यानी ब्लैकलिस्ट। मतलब अब इनको न तो सवाल कर सकते हैं और न ही व्हाट्सएप मैसेज भेज सकते हैं। पर साहब को क्या बताएं, नंबर ब्लॉक करके आप केवल सवालों से भाग सकते हैं सच्चाई से नहीं एल। अर्थात आप शुतुरमुर्ग बनकर केवल मुंह छिपा सकते हैं पर आपका शरीर तो अब भी बाहर है मतलब भ्रष्टाचार तो बाहर आएगा ही। इसके बाद खबर तो छपी। अब साहब और तिलमिला गए हैं।

इनके जैसे कुछ और अधिकारी हैं। जो केवल सवाल पूछने पर नंबर ब्लॉक कर देते हैं। यकीन मानिए सवालों से भागने वाले अधिकारी दरअसल अपने भ्रष्टाचार के खुलासे से डर रहे हैं। जबकि कई ऐसे अधिकारी भी हैं जो खुलकर जवाब देते हैं।

हालांकि, शुतुरमुर्ग बनने वाले सभी अधिकारी अपना मुंह कहीं दिखा नही पाते। पर पद का रौब डालकर कनिष्ठों को डराते है और अन्य संबंधित को अपनी काली कमाई से हिस्सा से देते हैं। कुछ तो मुख्यालय में बैठे ऐसे अधिकारी हैं जो एक सवाल सुनकर ही नंबर ब्लॉक कर देते हैं। और कुछ तो इसलिए कर देते है क्योंकि उन्होंने दूसरे शुतुरमुर्ग से काली कमाई में हिस्सा जो लिया है।

भोपाल रेल मंडल और पश्चिम मध्य रेलवे के कई ऐसे अधिकारी हैं जो आम आदमी के न तो फोन उठाते हैं और न ही व्हाट्सएप देखते हैं। और यदि कड़क सवाल या सच पूछ लिया तो भ्रष्ट अधिकारी कर देते हैं मोबाइल नंबर ब्लॉक। फिर समझने लगते हैं की न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी। गजब तो तब हो जाता है जब चंद मुखिया भी इसी प्रकार शुतुरमुर्ग बन जाते हैं।

पर असलियत यह है की इनके शुतुरमुर्ग बन जाने से इनके भ्रष्ट क्रिया कलापों पर पर्दा नहीं पड़ जाएगा। उदाहरण स्वरूप, इंजीनियरिंग शाखा के कुछ अधिकारीयों से आप भ्रष्टाचार के सवाल पूछिए तो पहले जवाब नही देंगे। व्हाट्सएप में सवाल भेजेंगे तो कर देंगे मोबाइल नंबर ब्लॉक। ईमेल तो जैसे दिखावे के लिए बनाए हुए हैं।ऐसे ही कुछ अन्य शाखा में भी शुतुरमुर्ग बैठे हैं।

आपको बता दें की इंजीनियरिंग शाखा में वैरिएशन, मास्टर शेड्यूल आदि में करोड़ों की हेराफेरी होती है। और 2 की चीज कब 4 या 5 की बन जाती है किसी को पता ही नही चलता। और इनके द्वारा कमाई गई काली कमाई का हिस्सा ऊपर तक बंटता है। तभी तो इनके काम पर जांच नहीं होती।

बहरहाल, अब आपको कोई भी अधिकारी ब्लॉक करे तो उसकी डिटेल हमे दीजिए। हम बनाएंगे शूरमुर्ग अधिकारियों की सूची। और करेंगे प्रकाशित।


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