Published By : Pravesh Gautam
Jan 03,2025 | 12:55:pm IST | 7014
प्रवेश गौतम (द करंट स्टोरी, भोपाल)। भारतीय रेलवे में कुछ अधिकारियों की कार्यप्रणाली अजब गजब है। इन पर नजर रखने के लिए खुफिया तरीके अपनाने पड़ते हैं। ताकि भ्रष्टाचार और अनियमितता सामने आ सके। पूरी आवाज आ रही है, सुनो साहब। कुछ ऐसी ही शंका उत्पन्न है एक ब्रांच अधिकारी के मन में।
ठंड में ठिठुरने के लिए मजबूर करने वाले, एक साहब हैं, जो जातिवाद करते हुए अपनी जाती के अफसरों के साथ एक समूह बनाए हुए हैं। और अपने मुंह मियां मिठू नाम हुए हैं। पर इनकी कार्यप्रणालक लगातार सवालों के घेरे में हैं।
इन साहब को शक है कि इनके कार्यालय में किसी ने खुफिया डिवाइस लगा रखी है, जिससे इनकी बातें कोई सुन रहा है। इसी शक में पूरे दफ्तर में खोजबीन चल रही है। दराजें, टेबल, कुर्सी, सोफा, सब कुछ आठों तरफ से जांचा जा रहा है। पर साहब को डिवाइस नहीं मिली।
सुनो साहब, आप अपना दिमाग न लगाएं, क्योंकि जहां सबसे ज्यादा विश्वास होता है वहीं धोखा भी होता है। आपका नाई, ही असल में हरिराम नाई है। पूरी आवाज इसी के पास से आ रही है। यह जहां जहां रहेगा, वहां वहां से ट्रांसमिशन मिलता रहेगा।
इसलिए, चौंकिए मत, बस अपने हरिराम नाई को पहचान लीजिए।
ठंड में ठिठुरने बढ़ रही है। और इसी के साथ मेरी नींद खुल जाती है। बाथरूम जाकर जैसे ही गीजर छूता हूं तो करंट का डर सताने लगता है।
(विशेष सूचना: तो यह थी, आज के मेरे सपने की कहानी। पता नहीं कौन साहब हैं जो डिवाइव तलाश रहे हैं। खैर इस लेख का किसी भी संस्था, जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। यह केवल मेरे सपने की कहानी है।)