महापौर और आयुक्त के बीच संतुलन बैठाने में नाकाम अधिकारी, नतीजा ....हिल रहा हूं!

Published By :  Pravesh Gautam

Jun 17,2017 | 07:59:44 am IST |  11085

प्रवेश गौतम, भोपाल। 3 मई को हुई भोपाल नगर निगम परिषद की बैठक में महापौर आलोक शर्मा के एक बयान ने प्रशासनिक व राजनितिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। महापौर के बयान के बाद आयुक्त का बयान कहीं न कहीं दोनो के बीच संतुलन की कमी दर्शा रहा है। 

गौरतलब है कि महापौर ने अपने वक्तव्य में कहा था कि पांच प्रतिशत कमीशन खाने वाले नगर निगम के इंजीनियरों को बख्शा नहीं जाएगा। इस बयान के बाद तो नगर निगम के सभी इंजीनियरों में रोष पैदा हो गया था। वहीं आयुक्त छवि भारद्वाज का बयान भी महापौर को सीधे चुनौती देने वाला लग रहा था। 

दरअसल महापौर की मंशा नगर निगम में पारदर्शिता लाने के साथ ही विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने की है। लेकिन अ​कसर इस मंशा को पूरा करने के प्रयास पर पानी फेर दिया जाता है, कभी नगरीय प्रशासन संचालनालय से तो कभी मंत्रालय से। नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी महापौर आलोक शर्मा की कार्यशैली व लगनशीलता से कुछ परेशान होने लगे हैं। कई के कमीशन के खेल भी बिगढ़ गए हैं। ऐसे में महापौर के बयान से खलबली तो मचनी ही थी। दूसरी ओर महापौर की चौपाल के दौरान आलोक शर्मा को एक इंजीनियर ने बेतुका सा जवाब दे दिया था। इन सब के पीछे कई समीकरण हैं जो शायद दिख तो सबको रहे हैं लेकिन इस पर काम कोई नहीं करना चाहता। 

भोपाल नगर निगम में अकसर आयुक्त और अन्य प्रशासनिक अधिकारी महापौर पर भारी पड़ते थे, लेकिन आलोक शर्मा के सामने ऐसा नहीं हुआ। हालांकि महापौर और आयुक्त के बीच सदा अधिकारी सेतु का काम किया करते थे, जिससे कोई विवादास्पद स्थिति नहीं बन पाती थी। लेकिन पिछले लगभग एक वर्षों से ऐसा कोई सेतु नगर निगम में दिख नहीं रहा या कोई भी अधिकारी सेतु बनना नहीं चाहता।

लगभग सभी अपर आयुक्त एवं अधिकारी, आयुक्त छवि भारद्वाज को ही खुश करने में लगे रहते हैं, महापौर की तरफ उनका ध्यान कमोवेश कम ही जाता है। ऐसे में वर्तमान परिस्थिति विवादास्पद ही रहती है। 

लो कर लो बात
अखिर ऐसा कौन सा अधिकारी था, जिसने सेतु का काम किया, यह लगभग सभी जानते हैं। बाद में कोई ऐसा काम क्यों नहीं कर रहा है, इसको समझने की कोशिश की जा सकती है। दरअसल मुख्यमंत्री के खासमखास और चहेते आईएएस अफसरों में से एक का विशेष हस्तक्षेप भोपाल नगर निगम में भी रहता है। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि इन आईएएस और महापौर के बीच तालमेल नहीं हो पा रहा है। तो वहीं दूसरी ओर छवि भारद्वाज को इन अधिकारी का वरदहस्त प्राप्त है। वैसे भोपाल नगर निगम में इन साहब की इतनी चलती है कि अपर आयुक्तों को प्रभार भी इनसे चर्चा करके दिए जा रहे हैं।

विधायकों ने ली चैन की सास
परिषद की बैठक में न केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा के पार्षद भी महापौर के खिलाफ लामबंद होते नजर आए। इसके पीछे यही कयास लगाए जा रहे हैं कि इसके पीछे वर्तमान भाजपा विधायकों का हाथ है। दरअसल महापौर की चौपाल के कारण उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इससे कई विधायकों को अपनी टिकट कटने का डर सताने लगा, क्योंकि महापौर आलोक शर्मा अगले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार हैं। इसी के चलते महापौर का विरोध कराया जा रहा है। खैर जो भी हो, इस घटनाक्रम से कुछ ​विधायकों ने तो चैन की सास ली है। 
 

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