Published By : Pravesh Gautam
Nov 26,2018 | 11:05:32 am IST | 14996
प्रवेश गौतम, भोपाल। सड़क बिजली और पानी को लेकर 2003 में प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हालत 2018 के विधानसभा चुनाव में कुछ हिचकोले लेते हुए दिख रही है। शायद इसी हिचकोलों को कम करने के लिए राजधानी भोपाल में मतदान से ठीक पहले चुनावी सड़कों का निर्माण तेज़ गति से चल रहा है। भाजपा उम्मीद कर रही है कि शायद, इन सड़कों पर चलकर मतदाता वोट डालने के लिए जाए तो उसे झटका न लगे और बटन दबाते वक़्त उंगली पंजे की बजाय कमल का फूल खिलाए।
गौरतलब है कि राजधानी की सड़कों का हाल पिछले 5 सालों से बदतर ही है। नरेला और हुज़ूर विधानसभा के रास्तों पर तो पैदल चलना दूभर है। बारिश के मौसम में आए दिन आम जनता कीचड़ में नहाती है। पार्टी के नेताओं की महंगी गाड़ियों (स्कार्पियो और सफारी आदि) के पहियों के कारण दोनों विधानसभा के विधायकों के जूतों तक मे कीचड़ नहीं लगा। आम जनता ने तो पांच सालों तक इस कीचड़ और गड्ढों भरी सड़कों को झेला है।
बहरहाल, भोपाल नगर निगम के कप्तान साहब (जो प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री के दामाद भी हैं) ने अचार संहिता से ठीक पहले थोक के भाव मे वर्क आर्डर जारी कर ठेकेदारों को निर्देश दिए थे कि नवंबर में काम शुरू करना ताकि 28 नवंबर को मतदाता को झटका न लगे। ठेकेदारों ने इस निर्देश का शब्दशः पालन करते हुए काम भी वैसा ही किया। 27 तारिख की शाम तक लगभग सभी गड्ढे भर दिए जाएंगे और सड़कों पर भारी मात्रा में डामर भी डाल दिया जाएगा। जिससे 28 तारिख को सुबह मतदान के लिए जाते समय, मतदाता को हिचकोले न खाना पड़े।
चुनावी वादों जैसी गुड़वत्ता
अब सड़कें तो चुनावी हैं, सो उनकी गुडवत्ता भी चुनावी वादों के जैसे ही है। इन सड़कों को देखकर कोई भी राह चलता व्यक्ति यह कह सकता है कि सड़क मतगणना के पहले ही उखाड़ जाएगी। तब तक सरकार बन जाएगी और फिर शुरू होगा लीपापोती का काम।
सड़क उखाड़ने के बाद आम आदमी यानी कि मतदाता को हिचकोले से आराम 2023 में ही मिल पाएगा।